हर रिश्ता कामियाब हो जरुरी नहीं है, आपको सच्चा प्यार हो सकता है, पर जरुरी नहीं की आपको कोई सच्चा प्यार करने वाला मिले। और अगर कोई सच्चा प्यार करने वाला मिल भी जाए तो किसी न किसी की इस प्यारे रिश्ते पर नज़र लग ही जाती है और वो जो कल तक दिल में बस था आज दिल से दिन बताये चला जाता है। पर वो अपनी निशानी इस दिल के हर कोने में छोड़कर जाता है।।
कभी मज़बूरी होती है छोड़ देने की, कभी कोई और रुकावट आती है।
जब सब कुछ अच्छा हो तो, ये कुंडली टांग अड़ाती है।।
हम सबको मनाते है,
अपने रिश्ते की कीमत समझाते है।
पर अक्सर ऐसा होता है,
की किसी गलतफहमी का ठिकाना उसके दिल में होता है।।
ये गलतफहमियां ये शक दीमक की तरह होते है,
इसका खामियाजा रिश्तों के बने घर ढोते है।।
अगर कोई गलतफहमी है तो हमे बताओ हम दूर करेगे आपकी गलतफहमी यु बात न करके हमे न सताओ…हर रिश्ता कामियाब हो जरुरी नहीं पर दोस्ती तो रह सकती है ना और दोस्ती हमेसा कामियाब ही होती है।।
सही कहा आपने।
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आपने बहुत ही अच्छा लिखा है। इस पोस्ट में सारे सवाल छुपा है। क्रोध शान्त हो गया हो तो अपना पोस्ट ध्यान से पढिएगा। और हाँ विज्ञान कहाँ पहुँच गया और आप आज में जीना छोड़ कर नजर जैसे बातों में विश्वास करते हैं। एक बात बताऊँ मैं बहुत खुश थी कि मुझे भवानी नाम का बेटा मिल गया है। जानते हैं भगवती, भवानी, देवी, सब माँ का ही सम्बोधन है। शायद आप जैसा बेटा पाकर मेरी खुशी को मेरी ही नजर लग गई।
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Mujhe gusha nahi aata hai…..
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